आदरणीय प्रधानमंत्री जी, बिना खर्चा किए, आपकी लिखी पांच लाइनों का एक आदेश लाखों का भाग्य बदल सकती है जी।


Green Accounting or Eco Friendly Accounting can transform education in India. Simplified version of this accounting is here in a form of request.

आदरणीय प्रधानमंत्री जी, 

मेरी पत्नी जब पीहर जाती है तो अपनी सहेलियों से मिलने में संकोच करती है। आप उसके इस संकोच को दूर कर सकते हैं। आप को कोई अतिरिक्त बजट भार भी नही उठाना होगा। बात दर असल ये है कि मैं एक निजि स्कूल में अध्यापक हूँ। छुट्टियों के दिनों में परीक्षा के बाद मुझे स्कूल से निकाल दिया जाता है तो इस प्रकार प्राय: एक वर्ष में 9 माह के लिए ही काम मिल पाता है। मेरी पत्नी को अपनी सहेलियों के बीच मेरा परिचय देते हुए संकोच होता है। मेरे एक मित्र हैं जिनकी सरकारी स्कूल में नोकरी लग गई है। उसकी पत्नी सिर ऊँचा कर के शान से पीहर जाती है और अपनी सहेलियों में इज्जत पाती है। वह शान से अपनी सहेलियों से अपने पति का परिचय करा देती है। मेरी मा भी पहले तो मुझे बेटा बेटा कह कर बुलाती थी पर जब से शादी हो गई है वह मेरे सरकारी नोकरी प्राप्त भाई को तो "मेरा बेटा" कह कर बुलाती है पर मेरी पत्नी से बात करते हुए जब मेरा जिक्र आता है तो मेरे लिए "तेरा पति" कह कर सम्बोधित करती है। समाज में सरकारी नोकरी में किसी को मिलने वाली साधारण जीविका के कारण सरकारी शिक्षक हो जाना हरेक युवा का सपना है। परंतु मेरे जैसे लाखों शिक्षक निजि शिक्षक के रूप में ही स्कूलों में अपनी सेवाएं दे कर संतोष कर रहे हैं। भारत सरकार अगर 5 लाइन का एक आदेश निकाल दे तो देश में निजि विद्यालयों में लगे अध्यापकों का सिर गर्व से ऊँचा हो सकता है। ग्रीन एकाउटिंग मोडल की पालना करते हुए... खाता बही में निजि शिक्षक को भी वही वेतन दर्शाया जाए जो एक सरकारी अध्यापक को दिया जाता है। (वेतन देने की जरूरत नही है) वेतन भुगतान के समय सरकारी अध्यापक को कुल वेतन नकद रूप में क्रेडिट किया जाता है। निजि विद्यालय सारा वेतन नकद क्रेडिट ना कर सकते या उनकी नीयत नही है तो ना करे। जितना हिस्सा नकद क्रेडिट करना चाहें कर दें और शेष राशि चेरिटी एकाउंट में क्रेडिट कर दें। एक निजि विद्यालय में शिक्षक सरकारी अध्यापकों के मुकाबले 2-3 गुणा मेहनत करता होगा परन्तु उसका कोई आधिकारिक मुल्यांकन नही होता। (ताकि अगले सत्र में अपनी मेहनत के प्रदर्शन से किसी और विद्यालय में 9 माह की नोकरी पा सके, बिना नोकरी के उसे ट्यूशन के लिए बच्चे नही मिलते जी) अगर एकाउण्टिंग प्रणाली को इक्को फ्रेंडली कर दिया जाए और अध्यापक के अदेय भुगतान को चेरिटी खाते में डाल दिया जाए तो समाज में निजि अध्यापकों की माएं और पत्नियाँ घरों में उनको प्रताडित करना बन्द कर देगी। अध्यापक भी शान से सिर उठा कर चल सकेगा। क्यों कि खाता बही के अनुसार वह साल में कुछ लाख रूपये शिक्षण संस्थानों में शिक्षा दान के अलावा अपने पारिश्रमिक का नकद दान भी करते हुए दिखाई देगा। सरकारी अध्यापक की बीवी को निजि अध्यापक की बीवी भी शान से कह सकेगी कि... तेरा पेति तो सारा कमाया पेट से लपेटने के लिए घर ले आता है, एक हमारे पति को देखो हर महीने हजारों रूपये समाज में शिक्षा के लिए दान कर के आते हैं। आदरणीय प्रधान मंत्री जी आपकी सरकार की तो पाँच लाइन लिखने के लिए एक कलम चलेगी पर देश के लाखों शिक्षक सिर उठा कर चलने लायक हो जाएँगे। बाकी तो आप सब समझते हैं जी क्या कहूँ अपने रोते दिल को कैसे खोल के दिखाऊँ। सुरेश कुमार शर्मा, ई- 144, अग्रसेन नगर, चूरू 331001 (राज) 9929515246)
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( बिना खर्चा किए, आपकी लिखी पांच लाइनों का एक आदेश लाखों का भाग्य बदल सकती है जी)